दिवाली फिर आई Diwali fir Aaee वर्षा ऋतु का अन्त हुआ जबआना जाना सरल हुआ तब इधर उधर जब देखा जाकर गन्दे दिए दिखाई सब घर घरों की सबने कर…
ग़ज़ल GAZAL मैं जो कहता हूँ उसे निभाता हूँमेरे मन में जो है उसे सुनाता हूँ कविता भले ही हो कल्पना मेरी फिर भी मैं…
क्या अच्छा और क्या बुरा | Kya Achchha Aur Kya Bura दीना एक छोटे से गाँव में रहता था. गाँव छोटा तो था ही और इसमें सुख सुविधा नाम की कोई चीज नही ं थी. ग…
सिमटती धरती- बढ़ती दूरियां | Simatee Dhartee-Barhtee Dooriyaan भारत एक कृषि प्रधान देश है. यहाँ की लगभग सत्तर प्रतिशत जनसंख्या कृषि कार्य करती है.कृषि करने के लिए…
कुछ लोग ऐसे भी Kuchh Log Aise Bhi Hindi Poem बन्दे तेरे धन्धे कैसे कुछ आज समझ नही ं आता हैआए दिन कितना झूठ बोले तू तनिक नहीं शर्माता है चिकनी चु…