दिवाली फिर आई Diwali fir Aaee

वर्षा ऋतु का अन्त हुआ जबआना जाना सरल हुआ तब इधर उधर जब देखा जाकर गन्दे दिए दिखाई सब घर घरों की सबने कर…

ग़ज़ल GAZAL

मैं जो कहता हूँ उसे निभाता हूँमेरे मन में जो है उसे सुनाता हूँ
कविता भले ही हो कल्पना मेरी फिर भी मैं…