मित्र तुम्हारा वही है, जो सुख-दुःख मेँ दे साथ ।
ऐसा मित्र छोडो नहीँ, फिर न आवै हाथ ॥
सुख मेँ तो सब साथ देँ, दुःख मेँ देत न कोय ।
जो दुःख मेँ है साथ दे, सच्चा साथी होय ॥
सामने तो मीठा बोले, पीछे रोके काज ।
ऐसे मित्र को छोड दो, शीघ्र ही तुम आज ॥
अति के मीठे जनन को, ऐसे ही तू जान ।
जैसे तन मेँ शुगर बढे, देत कलेश महान ॥
जेब मेँ जब पैसे रहेँ, मित्र बहुत ह्वै जायँ ।
जब ढिँग पैसे न रहेँ, मित्र पास नहिँ आयँ ॥
सबल का सब साथ देँ, निर्बल का नहिँ कोय ।
जो निर्बल का साथ दे, सोई महान होय ॥
सोच समझ कर मित्र बना, तुझे हो ऐसा ज्ञान ।
अच्छा मित्र होता सदा, सभी सुखोँ की खान ॥
ऐसा मित्र छोडो नहीँ, फिर न आवै हाथ ॥
सुख मेँ तो सब साथ देँ, दुःख मेँ देत न कोय ।
जो दुःख मेँ है साथ दे, सच्चा साथी होय ॥
सामने तो मीठा बोले, पीछे रोके काज ।
ऐसे मित्र को छोड दो, शीघ्र ही तुम आज ॥
अति के मीठे जनन को, ऐसे ही तू जान ।
जैसे तन मेँ शुगर बढे, देत कलेश महान ॥
जेब मेँ जब पैसे रहेँ, मित्र बहुत ह्वै जायँ ।
जब ढिँग पैसे न रहेँ, मित्र पास नहिँ आयँ ॥
सबल का सब साथ देँ, निर्बल का नहिँ कोय ।
जो निर्बल का साथ दे, सोई महान होय ॥
सोच समझ कर मित्र बना, तुझे हो ऐसा ज्ञान ।
अच्छा मित्र होता सदा, सभी सुखोँ की खान ॥