मित्र

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    मित्र तुम्हारा वही है, जो सुख-दुःख मेँ दे साथ ।
    ऐसा मित्र छोडो नहीँ, फिर न आवै हाथ ॥
     
    सुख मेँ तो सब साथ देँ, दुःख मेँ देत न कोय ।
    जो दुःख मेँ है साथ दे, सच्चा साथी होय ॥

    सामने तो मीठा बोले, पीछे रोके काज ।
    ऐसे मित्र को छोड दो, शीघ्र ही तुम आज ॥

    अति के मीठे जनन को, ऐसे ही तू जान ।
    जैसे तन मेँ शुगर बढे, देत कलेश महान ॥

    जेब मेँ जब पैसे रहेँ, मित्र बहुत ह्वै जायँ ।
    जब ढिँग पैसे न रहेँ, मित्र पास नहिँ आयँ ॥

    सबल का सब साथ देँ, निर्बल का नहिँ कोय ।
    जो निर्बल का साथ दे, सोई महान होय ॥

    सोच समझ कर मित्र बना, तुझे हो ऐसा ज्ञान ।
    अच्छा मित्र होता सदा, सभी सुखोँ की खान ॥
    कमैंट्स