भोजन तथा स्वास्थ्य

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    भोजन में  रखिए सदा, पौष्टिकता का ध्यान ।
    गरिष्ठ भोजन नहिँ ठीक है, ऐसा तो हो ज्ञान ॥

    ताजा भोजन जो करै, शुद्ध पियै अरु तोय ।
    उसको तो फिर न कभी, रोग पेट का होय ॥

    लहसुन और प्याज हो, भोजन में  भरपूर ।
    स्वाद भी अच्छा रहे, रोग रहेँ सब दूर ॥
      
    मुरगे की बोली से जाना, क्या तुमने संदेश । 
    प्रातःकाल उठ जाने का, वह देता उपदेश ॥
      
    प्रातःकाल ही जो उठे, और टहलने जाय ।
    स्वास्थ्य लाभ उसको मिले, क्यों  न वह हरसाय ॥

    ध्यान स्वास्थ्य का रख सदा, यह तो है अनमोल ।
    देखभाल में तू कभी, मत कर टाल-मटोल ॥

    अच्छे स्वास्थ्य के लिए,करते रहो कुछ काम ।
    यदि आवश्यक हो तो, कर लो कुछ व्यायाम ॥

    जो तू चाहे स्वास्थ्य भला, तो मेरा कहना मान ।
    फिर तो सदा ही चाहिए, चेहरे पर मुस्कान ॥

    यदि कोई चाहे कि उसका,स्वास्थ्य न होय खराब ।
    फिर तो उसे नहिँ चाहिए,पीना कभी शराब ॥

    जो चाहो अपना भला, तो मत पियो शराब ।
    इससे तो सब ही गये, तन मन धन अरु आब ॥

    प्रातःकाल जो उठहिं, सेवहिं  शुद्ध समीर ।
    जीवन में  नहिं हो सके, उनको रोग गंभीर ॥

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