सिक्के के दो पहलू SIKKE KE DO PAHLOO

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    हम जब भी सिक्के की बात करते हैं तो अनायास ही हमारे दिमाग में सिक्के के दोनों पहलुओं का विचार आता है और हम उसके दोनों पहलुओं को भलीभाँति परख लेते हैं कि उसके दोनों पहलू ठीक ठाक हैं क्योंकि सिक्का तभी चलता है जब उसके दोनों पहलू ठीक हों। 
               आज हम जिस सिक्के की बात करेंगे वो कोई सामान्य सिक्का नहीं है। यह ऐसा सिक्का है जिसको उछालने की आवश्यकता नहीं है बल्कि इसके दोनों पहलू बारी बारी से स्वत: बदलते रहते हैं। आप को लग रहा होगा कि यह क्या कहा? क्या कोई ऐसा भी सिक्का है जो अपने आप पलट जाता हो? जी, हाँ। मैं बात कर रहा हूँ, समय के सिक्के की। 
              मनुष्य के जीवन में समय सीमित और मूल्यवान है इसलिए समय को सिक्के के रूप में चित्रित करना शायद अनुचित न रहा होगा।जो लोग समय के मूल्य और उसके महत्व को समझते हैं वे कभी भी व्यर्थ में समय को बर्बाद नहीं करते हैं। कहावत है जो समय को बर्बाद करते हैं समय उन्हें बर्बाद कर देता है। अतः समय का सदा सदुपयोग करना चाहिए। 
                समय के सिक्के के दो रूप होते हैं --पहला अनुकूल और दूसरा प्रतिकूल। व्यक्ति के जीवन में अनुकूल समय सुखदायी और प्रतिकूल समय दुखदायी होता है। कहावत है व्यक्ति को समय से पहले और भाग्य से अधिक कुछ नहीं मिलता है। समय जब हमारे अनुकूल होता है तो हमारा बिगड़ा हुआ काम भी बन जाता है और समय प्रतिकूल होने पर हम लाख प्रयास करें हमें सफलता नहीं मिलती है।
              समय सदा एक सा नहीं रहता है, या यूँ कहें समय बदलता रहता है। दिन के बाद रात और रात के बाद दिन का क्रम चलता  रहता है। मनुष्य के जीवन में भी सुख-दुख आते जाते रहते हैं। रात के बाद दिन  आना जिसप्रकार निश्चित होता है ठीक उसी तरह दुख के बाद अनुकूल समय आने पर सुख आना भी निश्चित है। 
              बात जहाँ सिक्के की होती हो वहाँ लाभ हानि की चर्चा न की जाय तो चर्चा अधूरी लगती है। व्यवसाय में लाभ हानि भी समय के प्रभाव के फलस्वरूप होती है। फलों के पक जाने पर समय से तोड़कर उन्हें बाजार में नहीं बेचा गया तो सब सड़कर गिर जाते हैं और फल उत्पादक को कोई लाभ नहीं मिलता बल्कि उसकी बहुत हानि होती है। 
               जीवन में अच्छाई के साथ बुराई भी सदा जुड़ी रहती है। अमिताभ बच्चन के गीत की लाइन 'जो है नाम वाला वही तो बदनाम है' से इस बात की पुष्टि होती है। किसी को आगे बढ़ता देखकर लोग उससे जलने लगते हैं और मौका मिलते ही उसे बदनाम करने से नहीं चूकते हैं। 
             समय सर्वशक्तिमान है। व्यक्ति के जीवन में उत्थान और पतन करने वाला समय ही है। समय राजा को रंक और रंक राजा बना सकता है। जन्म-मरण यहाँ तक कि सम्पूर्ण सृष्टि समय के अधीन है। 
            
              
               



                   



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