बडा़ आदमी # BARAA AADAMEE # BLOG

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     अक्सर आपने लोगों को कहते सुना होगा कि वो तो बहुत बड़ा आदमी है। बड़ा बनने की चाह हर किसी में होती है और इंसान बड़ा बनने की कोशिश भी करता है भले ही वो बड़ा न बन पाए यह अलग बात है।आज के इस लेख में यह जानने का प्रयास करेंगे कि आखिर बड़ा होता कौन है ? लोग किसे बड़ा आदमी कहते हैं? 
             बड़ा आदमी बनने के लिए व्यक्ति को महत्वाकांक्षी होना जरूरी है। कहावत भी है - जहाँ चाह है वहाँ राह है। कोई भी आदमी किसी काम को करने का दृढ़ निश्चय कर ले तो वह उस काम में एक न एक दिन सफलता प्राप्त कर ही लेता है। व्यक्ति का मनोबल भी बड़ा आदमी बनने में उसका सहयोग करता है। जो लोग काम शुरू करने से पहले ही मन उदास कर लेते हैं और बेमन से काम शुरू करते हैं उन्हें बड़ा आदमी बनने का सपना नही ं देखना चाहिए। 
               कोई भी आदमी यूँ ही बड़ा नहीं बन जाता है। उसे जीवन में बहुत संघर्ष करना पड़ता है। जो भी जीवन में आई मुसीबतों का सामना करता हुआ आगे बढ़ता रहता है और सदा अडिग होकर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रयासरत रहता है वह  निश्चय ही अपने काम में सफलता प्राप्त कर लेता है और उसका सपना एक दिन साकार हो जाता है। 
              व्यक्ति कद से नहीं पद से छोटा या बड़ा होता है। आपने देखा होगा कि किसी महत्वपूर्ण पद पर आसीन व्यक्ति का रंग -रूप और डील-डाल चाहे जैसा भी हो वह अपने पद के कारण एक बड़ा आदमी कहलाता है। किसी छोटे पद पर काम करने वाला देखने में चाहे कितना भी अच्छा क्यों न लगता हो उसे कोई बड़ा नहीं मानता है। 
               ऐसे लोग ,जिनको देश में बहुत लोग पसंद करते हैं बड़े आदमी कहलाते हैं। खिलाड़ी और फिल्म के हीरो इसीप्रकार के बड़े आदमी हैं। 
              समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने वाले समाज सुधारक भी महापुरुष हैं। इन समाज सुधारकों ने सामाजिक बुराइयों को दूर कर समाज का सही मार्गदर्शन किया है। ऐसे लोगों को हम सब सदा याद करते हैं। 
               आज के युग में विज्ञान की देन को नहीं भुलाया जा सकता है। मानव जीवन में काम आने वाली वस्तुयें विज्ञान की देन हैं। विज्ञानियों द्वारा किए गए आविष्कार मानव जीवन के लिए वरदान सिद्ध हुए हैं। इनसे हमारा जीवन सुखद और सरल हो गया है। इनके द्वारा किए गए अद्भुत कार्य इन्हें महान बनाते हैं।          समाज और देश का नेतृत्व करने वाले नेताओं को समझना भले ही मुश्किल हो लेकिन इतना तो समझ में आता है कि ये भी बड़े आदमी हैं। इनको लोकप्रिय बनाने में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। मीडिया स्वतंत्र और निष्पक्ष होना चाहिए। मीडिया किसी का गुणगान करके उसे बड़ा बना देता है। 
               साहित्य समाज का दर्पण होता है। साहित्यकार अपनी रचनाओं में समाज में चल रही गतिविधियों और कार्यकलापों का चित्रण एवं उल्लेख करता है। इससे लोगों के ज्ञान में वृद्धि होती है। उनमें समझने की शक्ति का विकास होता है। साहित्यकार भी अपने क्षेत्र के बड़े आदमी ही हैं। 
              मन के हारे हार है मन के जीते जीत। मन भी इंसान को छोटा या बड़ा बना देता है। किसी के पास सबकुछ है फिर भी उसका मन तृप्त नहीं है तो उसे अपने जीवन में अभाव ही दिखाई देगा। वो सदा अपने आप को छोटा महसूस करेगा। इसीप्रकार किसी के पास जो कुछ भी है उसे पर्याप्त मानकर खुश रहता है उसे भी हम बड़ा ही कहेंगे। 
              समाज में  हर प्रकार के लोग होते हैं। अच्छे बुरे की परिभाषा बड़ी जटिल है। इसलिए हम इसके चक्कर में नहीं पड़ते हैं। कौन अच्छा है ? कौन बुरा ?यह समाज जाने। हमें तो बड़े आदमी की तलाश है उसे ढूंढ रहे हैं। हो सकता है आपको भी बड़े आदमी की पदवी मिल जाए। मैंने अक्सर लोगों को देखा है कि जब वे अपने मूड में होते हैं तो वे अपने आप को किसी शहनशाह से कम नहीं समझते हैं और अपने सामने वाले को कुछ नहीं समझते हैं। इनके सामने किसी की चलती नहीं है। ये बड़े आदमी नहीं तो क्या है ं? 
              हर आस्तिक भगवान् को ही सबसे बड़ा मानता है। लेकिन बात बड़े आदमी की चल रही है इसलिए ईश्वर अभी हमारी चर्चा का विषय नहीं है। आज के समय में बडप्पन में ईश्वर के बाद यदि कोई है तो वो है पैसा। कहावत है- बाप बड़ा न भैया, सबसे बड़ा रुपइया। कहने की आवश्यकता नहीं है कि जिस आदमी के पास बहुत पैसा हो वो भी एक बड़ा आदमी है। एक आम आदमी इसी को बड़ा आदमी कहता भी है। 



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