ज्ञान

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    gyan
    Photo by Victor from Pexels

    ज्ञानी सब संसार है, अज्ञानी 'प्रसाद' |
    जो कुछ नहि है जानता , जिसको कुछ नहि याद||

    सभी को होना चाहिए , ऐसा सच्चा ज्ञान |
    अतिथि मात पिता अरू गुरु, सभी देवता समान ||

    काम क्रोध मद लोभ मोह , इनसे रह होशियार |
    जो तू चाहे जगत मे , अपना कुछ उद्धार ||

    दीमक से भी लीजिए,थोड़ा सा कुछ ज्ञान |
    लगकर जो तुम काम करो , हो जाय काम महान ||

    ज्ञानवान मानव की है, कुछ ऐसी पहचान |
    झुक जाता है वह ज्ञान से, फलदार वृक्ष समान||

    झूठे हैं बन्धन सभी, कहते ज्ञानी लोग |
    अन्तर में इनके छिपे, कहे जा सकें भोग||

    अज्ञानी मत कर कभी, देह का अभिमान | 
    इसको तू सदा ही, मिट्टी का ढेला जान ||

    ज्ञानी तो बस एक है, जिसे जगत का ज्ञान |
    अज्ञानी वे सकल हैं, जो करे सत्य से पलान ||

    मद में मस्त शरीर के, इतना नहिं तू डोल  |
    पता नहिं कब उतर जाये, यही ढोल की पोल ||

    मिथ्या जग को क्यों रहा, सच्चा तू रे मान |
    इसे तो ऐसे देखिये, झूठा सपना जान || 

    बिन ठोकर आवै अकल, सो तौ सम्भव नाय |
    जैसे बिन गोता लगे, तैरना सीख न पाया ||

    रे अज्ञानी जगत में, अपना कोई नाय  | 
    अपना अपना करे तू, क्यों रहा भरमाय ||

    क्या तू लाया साथ में, और क्या ले जाय | 
    अपना अपना क्या करे, यही समझ नहिं आय||

    जो तू चाहे निज भला, ईश्वर को न भुलाय |
    इस माया जंजाल में, तेरी खैर है नाय||
    कमैंट्स