ॐ श्री गणेशाय नमः ॐ
सुमर श्री भगवान को, लई लेखनी हाथ ।
दोहा रचने मेँ प्रभु, देना हरदम साथ ॥
दोहा रचने मेँ प्रभु, देना हरदम साथ ॥
दोहा रचने मेँ सदा, रखूँ गुरू का ध्यान।
होऊँ सफल निज काम मेँ , ऐसा देँ वरदान ॥
मात-पिता भी देँ मुझे, ऐसा आशीर्वाद।
रचना पूरी करने मेँ, सफल होय 'प्रसाद'॥
विद्या देवी सरस्वती, हुदय विराजेँ आन ।
दोहा रचना मेँ सदा, बना रहे सुर तान ॥
बार-बार सुमरूँ सबै, मत देना विसराय ।
शुभाशीष देना मुझे, काम सफल हो जाय॥