बन्दे तेरे धन्धे कैसे कुछ आज समझ नही ं आता है
आए दिन कितना झूठ बोले तू तनिक नहीं शर्माता है
चिकनी चुपड़ी बातें करके तू सबको खूब लुभाता है
अपना उल्लू सीधा करने को धोखे का जाल बिछाता है
पल्ले में नहीं कुछ भी तेरे पर झूठी शान दिखाता है
दूसरों से मांगी हुई चीज को अपनी चीज बताता है
जाल में फँसे तेरे कोई चिड़िया फिर खूब तू हर्षाता है
अगले कुछ दिनों का खर्चा आराम से चल जाता है
ऐसा इंसान सुनो भाई जीवन में कुछ नहीं कर पाता है
बस अपना और अपने कुल का नाम ही खूब डुबाता है