वर्षा ऋतु का अन्त हुआ जब
आना जाना सरल हुआ तब
इधर उधर जब देखा जाकर
गन्दे दिए दिखाई सब घर
घरों की सबने करी पुताई
दिवाली फिर आई
विजनेस मैन दुआ मनाये ंं
दीपावली जल्दी से आये
दूकानों को खूब सजाकर
ज्यादा सा सामान बेचकर
हम भी कर लें खूब कमाई
दिवाली फिर आई
कुछ शौकीन जुआ के भाई
उनने अपनी किस्मत अजमाई
कहें जुआ खेले दिलवाला
कुछ का तो हो गया दिवाला
इस बार लक्ष्मी हुईं पराई
दिवाली फिर आई
तरह तरह के पकवान बनाये
सबने मिलकर खूब है ं खाये
पूड़ी, गुजिया और कचौड़ी
कुछ को रुचिकर लगीं पकौड़ी
पीने वालों ने नहीं खाई मिठाई
दिवाली फिर आई
फोड़े ं पटाखे मौज मनाये ं
प्रदूषण को बहुत बढ़ाये ं
खतरा इनसे होता भारी
बच्चों की मति गयी है मारी
दुर्घटना हो सकती भाई
दिवाली फिर आई
जगमग जगमग दीप जल रहे
तारों जैसे ये खिल रहे
अवली इनकी दिखतीं प्यारी
सुन्दर लगती ं न्यारी न्यारी
लगता उजियारा ले आईं
दिवाली फिर आई
श्रीराम वनवास से आये
सीता, लखन साथ में आये
अयोध्यावासी खुशी न समाये
सबने घी के दीप जलाये
तब से प्रतिवर्ष दिवाली मनाई
दिवाली फिर आई