वाणी

वाणी को तू जान रे, बिल्कुल तीर समान । छूटा शर क्या आ सके, वापस पुनः कमान ।।
कटुक वचन मत बोलिए, चुभता …

धन दौलत

दौलत का तू मत कभी,  करना रे अभिमान । छाया माया नहिँ रुके,  ऐसा कहेँ विद्वान ।।
पैसे से ही मिलत हैँ,  …

विद्या

विद्या धन अद्भुत महा, जाके होवै पास ।
खरचे से तो यह बढै, संचे होवै नास ।।
विद्या तो अभ्यास की, ऐसा …

क्रोध

क्रोध कभी मत कीजिए , बुद्धि का करे नास । बिन बुद्धि क्या कर सका , जग मेँ कोई विकास ।। क्रोध करना ठीक …