विद्या धन अद्भुत महा, जाके होवै पास ।
खरचे से तो यह बढै, संचे होवै नास ।।
विद्या तो अभ्यास की, ऐसा है विश्वास ।
मेहनत से जी न चुरा, जो होना चाहे पास ।।
ऐसा मत तू जान रे, तुझे न विद्या आय ।
बार बार रटता रहे, इसका फल तू पाय ।।
कैसे हो सकता भला, शिक्षा बिना विकास ।
अनपढ तो रहता बना, सदा सभी का दास ।।
किसी क्षेत्र मेँ ही सदा, करता जो अभ्यास ।
मिलती उसको निपुणता, ज्ञान का होय विकास ।।
विद्या धन सबसे बडा, इससे कोइ न महान ।
इसको लेकर साथ मेँ, घूमो चाहे जहान ।।
विद्यार्थी को है कभी , सुख तो मिलता नाहिँ ।
जो वह सुख पावै करै, फिर विद्या नहिँ पाहिँ ।।
विद्यावान के तौ सदा, होते हैँ बडे ठाट ।
चोर इसे न चुरा सके, भाई सके न बाँट ।।
असफल होने पर कभी, होना नहीँ निरास ।
असफल तो होता सदा, सफल ही के पास ।।
जो चाहो विद्या धन से, होना तुम धनवान ।
मेहनत से करो पढाई, गुरु को दो सम्मान ।।
खरचे से तो यह बढै, संचे होवै नास ।।
विद्या तो अभ्यास की, ऐसा है विश्वास ।
मेहनत से जी न चुरा, जो होना चाहे पास ।।
ऐसा मत तू जान रे, तुझे न विद्या आय ।
बार बार रटता रहे, इसका फल तू पाय ।।
कैसे हो सकता भला, शिक्षा बिना विकास ।
अनपढ तो रहता बना, सदा सभी का दास ।।
किसी क्षेत्र मेँ ही सदा, करता जो अभ्यास ।
मिलती उसको निपुणता, ज्ञान का होय विकास ।।
विद्या धन सबसे बडा, इससे कोइ न महान ।
इसको लेकर साथ मेँ, घूमो चाहे जहान ।।
विद्यार्थी को है कभी , सुख तो मिलता नाहिँ ।
जो वह सुख पावै करै, फिर विद्या नहिँ पाहिँ ।।
विद्यावान के तौ सदा, होते हैँ बडे ठाट ।
चोर इसे न चुरा सके, भाई सके न बाँट ।।
असफल होने पर कभी, होना नहीँ निरास ।
असफल तो होता सदा, सफल ही के पास ।।
जो चाहो विद्या धन से, होना तुम धनवान ।
मेहनत से करो पढाई, गुरु को दो सम्मान ।।