कुछ कहना और कुछ करना दुनिया की यही कहानी है
मन के अन्दर मैल भरा पर मीठी बहुत जुबानी है
वादा करता जो कल का वो लम्बा समय बिताता है
उधार ले गए सामान को वो जल्दी नही ं लौटाता है
दिया हुआ सामान न मांगा फिर वापस नहीं आता है
बहुत दिनों के बाद जो मांगा कितनी बात बताता है
किसी से सम्बन्ध बिगाड़ो तो उसको पैसे देना तुम
जिस दिन तुमने मांग लिए उसके दुश्मन बन गए तुम
आपस की राम राम भी फिर बन्द हो जाती है
उसको तुम्हारी सूरत भी बिल्कुल नहीं भाती है
मतलब से ही प्रीत है जुड़ती बिन मतलब नहीं होती है
बिन मतलब के राम राम भी आज बहुत कम होती है
पैसे के पीछे भागा आदमी उसे रिश्ता नहीं दिखता है
पैसे के खातिर गलत काम करने में नहीं हिचकता है
जिससे उसका काम निकलता वो उसका अपना होता
बिना काम के असली रिश्ता भी उसको नकली होता
करें बहाना समय नहीं था काम पड़ा तो कहाँ से आया
मतलब खातिर दौड़ लगाई खाना पीना कुछ नहीं भाया
मीठा बोलकर काम निकालना लोगों को खूब आता है
काम निकल जाने के बाद वही आदमी नहीं भाता है
दूसरों का दर्द न समझे ं अपना दर्द गिनाते हैं
किसी को दिल का दर्द बता दो खूब हंसी बनाते हैं
अपना नुकसान इन्हें दिखाए दूसरे का नहीं दिखता है
दूसरे का नुकसान करे आदमी और ऊपर से हँसता है
अपना सबकुछ अच्छा लगता दूसरे का नहीं सुहाता है
अपना काम खराब हुआ तब भी सही बताता है
किसी को अगले बढ़ता देख उसे दुख बहुत हो जाता है
किसी गरीब की दशा देखकर उसकी हंँसी उड़ाता है
पद मिल जाने पर लोगों का पारा ऊपर चढ़ जाता है
पद न रहने पर पारा फिर से नीचे गिर जाता है
सच्चा आदमी बुरा है लगता झूठे को गले लगाते हैं
चोर चोर मौसेरे भाई फिर दोनों बन जाते हैं
लोगों के मिलने जुलने से इनको दुख होता है
जब लोगों में हो लड़ाई इनको अच्छा लगता है
दूसरों की आड़ में होकर पीछे से तीर चलाते हैं
जोखिम न लेते बिल्कुल और अपना काम बनाते हैं
अपने दुख से इंसान आज दुखी बहुत कम होता है
पर दूसरे का सुख देखकर उसे बहुत दुख होता है
बड़े बड़े उपदेश जो देते वे वैसा कर नहीं पाते हैं
वे तो केवल दूसरों को ही ऐसी राह दिखाते हैं
दुनिया बड़ी विचित्र है भाई इसमें क्या नहीं होता है
इंसान के पास सबकुछ हो फिर भी जिंदगी भर रोता है