कोई न हो जब करीब तब तुम मिला करो
छोड़ो वो पिछली बातें अब न गिला करो
देखो ये दुश्मनों ने कितने दिए हैं जख्म
अब तुम ही आ करके इनको सिला करो
आई जो तुम तो आ जाए बहार फिर
मेरी भी कुछ बात तुम मान लिया करो
पतझड़ करीब हो ये लगता है मुझको
गम दूर रहे हमसे तुम ऐसी खिला करो
मिलना हो जब हमें ये सोचे रहना तुम
तुम सुई हो मैं धागा तुम न हिला करो