आओ मेरे पास बैठो, प्रिय मित्र मोबाइल |
अपने दिल की बातें कह दूँ, चेहरे पर आए स्माइल ||
बिना तुम्हारे आज किसी को, चैन नहीं पड़ता है |
छोटा बच्चा भी तो, मोबाइल के लिए लड़ता है ||
बच्चों के तुम बने खिलौना, बड़ो के जीवन साथी |
बूढ़ों के तुम बने सहारा, रहा कोई नहीं बाकी ||
आल इन वन बनकर तुम आए, ऐसा रंग जमाया |
घड़ी, रेडियो, टी वी छोड़कर, सबने तुमको अपनाया ||
दुनिया को एक करने का, तुमने फ़र्ज निभाया |
दूर से भी दूर व्यक्ति को, सबके निकट बैठाया ||
कलयुग के तुम बने देवता, घर घर पूजा होती |
चाहे पहने हों पैंट, पजामा, अथवा बांँधे हों धोती ||
समाजवाद के सच्चे उपासक, बनकर तुम आए हो |
प्रिय मित्र मोबाइल तुम्हारी, जय हो, जय हो, जय हो ||