तुम दीपक
जलकर स्वयं
देते दूसरों को प्रकाश
स्वयं अंधरे में रहकर
कर देते सारे जग को दीप्तिमान
हे शिक्षक !
तुम हो महान
जलना है
तुम्हारा धर्म
जब तेल तुम्हारा हो ज्ञान
शैली हो तुम्हारी वाती
फिर क्यों न जलो अविराम ?
हे शिक्षक !
तुम हो महान
न ऊंच नीच का भेद
देते प्रकाश समान
फैलाते सर्वत्र ज्ञान
हे शिक्षक !
तुम हो महान