अन्नदाता - Bhartiya Kisan Par Kavita – Poem on Farmer

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    'अन्नदाता' 

    किसान वर्ग हमारे देश का सबसे महत्वपूर्ण वर्ग है| यह हमारे अन्न दाता है| इनकी मेहनत और परिश्रम के वजह से हम सब 2 वक्त का खाना खा पा रहे है| भारत में आज के समय में हर साल लगभग 3 से लेकर चार हजार किसान आत्महत्या कर लेते है| इस दुखद घटनाओ की वजह अनाज के बदले कम रकम मिलना, बारिश न आना, आदि है| आज के समय में भी भारत के किसानो को वो लाभ नहीं मिल पाए है जिसके वे हकदार है| 


    अन्नदाता

    मेरे भ्राता

    कुछ कहा न जाता

    क्योंकि

    दु:ख दर्द से तुम्हारा नाता

    बासी रोटी 

    नमक मिर्च की चटनी

    नाश्ता तुम्हारा

    सुबह से शाम तक

    करते काम खेतों में

    साथी तुम्हारे

    हल बैल, खुरपी, कुदाल और फावड़ा

    फसल की बोआई से कटाई तक

    करते कार्य

    तेज धूप, वर्षा और ठण्ड में

    जाड़े में तुम्हारा सहारा

    हुक्का चिलम और अलाव

    रात को लुढ़क जाते

    पराली, पताई के गलीचे में

    तलवों की मोटी खाल एवं विवाइयां

    मानों जूते चप्पल तुम्हारे

    अक्सर सहते

    प्राकृतिक आपदाएँ

    सूखा, बाढ़ एवं ओलावृष्टि

    लोन मिलता

    पाच प्रतिशत मासिक ब्याज की दर पर

    डूबे रहते

    आजीवन कर्ज में

    बिटिया की शादी करते

    खेत बेच कर

    फसल का मूल्य निर्धारण होता

    माँग पूर्ति एवं भण्डारण क्षमता से

    शोषण होता

    पग पग पर

    गरीबी मिली 

    वरदान में तुमको

    इतना सब कुछ सहते

    पेट पालते

    दूसरों का

    हे अन्नदाता

    भाग्यविधाता

    शत शत नमन


    कमैंट्स