समय तेजी से बदल रहा है। शिक्षा और ज्ञान -विज्ञान का भी तेजी से विकास हुआ है। नये- नये आविष्कार होने से लोगों के जीवन में बदलाव आया है। पहले लोगों की आवश्यकताएं कम थी ंं। जैसे - जैसे सभ्यता का विकास हुआ है लोगों की आवश्यकताएं भी बढ़ी है ं। लोगों की पसंद में भी बदलाव आया है।
किसी भी प्रचलित सामाजिक व्यवस्था में अच्छाइयाँ होती हैं इसलिए दीर्घ काल तक समाज में चलन में रहती है । ये जो सामाजिक नियम , रीतिरिवाज और परम्परायें होती हैं इनमें समय के साथ आसानी से बदलाव नहीं हो पाता है। इसका मुख्य कारण यह है कि मनुष्य के जीवन में जो आदतें बन जाती हैं उनका बदल पाना मुश्किल होता है उसे वही सबकुछ अच्छा लगता है जो उसने अपने समय में देखा और अनुभव किया है।
कालांतर में पुराने रीति रिवाज और परम्परायें रूढियों का रूप ले लेते हैं जिन्हें समाज अनुपयोगी होने पर भी अपनाये रहता है। ऐसे रीति रिवाजों को फटे पुराने वस्त्रों के समान त्याग देने में ही समाज की भलाई है। सतीप्रथा का अन्त और विधवा पुनर्विवाह समाजसुधार के अच्छे उदाहरण हैं। दहेज प्रथा समाज के माथे पर अब भी कलंक है। इस सामाजिक बुराई को भी यथाशीघ्र समाज से दूर भगाना होगा। प्रेम विवाह , अन्तर्जातीय विवाह और युवाओं की नयी सोच दहेज प्रथा को कम करने में सहायक सिद्ध हो सकती है।
हम सब समाज में रहते हैं। हमारे अन्दर अच्छाइयाँ और बुराइयाँ जो भी है ं सब हमने समाज से ही ग्रहण की हैं। यह बात अलग है कि हमनें पुराने विचार में कुछ नया जोड़कर उसे नया रूप दे दिया हो और लोगों की नजर में हमारा विचार नया लगता हो। समय और परिस्थितियों के अनुसार लोगों की जरूरतों में परिवर्तन होता है परिणामस्वरूप लोगों के विचारों में भी परिवर्तन होता है।
सामान्यतः हम सभी किसी एक ऐसे रास्ते को चुनते हैं जिसपर अधिकतर लोग चल रहे हैं। ऐसा रास्ता सुगम होता है। हम यह सोच लेते हैं कि इस रास्ते में अड़चन नहीं होगी तभी तो इतने लोग चल रहे हैं। वैसे भी दुनिया लकीर की फकीर है। मुसीबत कौन मोल लेना चाहता है। 'काम तेरा, नाम मेरा' के विचार के लोगों की दुनिया में कमी नहीं है।
किसी भी एक राह पर चलने वालों की जब संख्या अधिक हो जाती है तो समस्याएं भी अधिक हो जाती हैं। अपना प्रदर्शन करने के लिए मेहनत भी अधिक करनी पड़ती है। लोगों की संख्या अधिक होने से प्रतियोगिता भी अधिक हो जाती है और काम करना मुश्किल हो जाता है।
ऐसी स्थिति में समय और परिस्थितियों के अनुसार व्यक्ति को नया मार्ग चुनना पड़ता है। यह एक साहस का काम होता है। कहावत है 'मरता क्या नहीं करता'। जिंदगी में जो लोग रिस्क लेते हैं वही लाभ भी उठाते हैं।
कोई नया काम शुरू करें और उसका लाभ तुरंत मिलने लगे, ऐसा नहीं होता है। ऐसे समय में धैर्य ही हमारा साथी होता है। कोई पेड़ हम लगाये ं और हम सोचें जल्दी ही फल देने लगे ऐसा संभव नहीं है। एक निश्चित समय का हमें इंतजार करना ही होगा तभी हमें उसका फल खाने को मिलेगा।
व्यक्ति अपना जीवन मार्ग जब स्वयं चुनता है और उसपर आगे बढ़ने का प्रयास करता है तो प्रारंभ में भले ही उसे मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है किन्तु धीरे धीरे उसमें आत्मबल का विकास हो जाता है और उसमें निर्भीकता आ जाती है ,उसमें कड़े फैसले लेने की क्षमता का विकास हो जाता है । अब उसे अपने काम में भरपूर लाभ मिलने लगता है।
आत्मविश्वास से परिपूर्ण प्रत्येक व्यक्ति के जीवन की अपनी सोच पर आधारित उसकी 'अपनी राह ' होनी चाहिए, मेरा ऐसा विचार है। सफलता निश्चित ही आपसे गले मिलेगी।