जीवन को सुखमय बनाने की हर किसी की लालसा होती है और हर कोई इसके लिए प्रयासरत भी रहता है। जीवन को सुखमय और सरल बनाने के लिए समझदारी की आवश्यकता होती है।जीवन संघर्षों से भरा है या यह कहें संघर्ष ही जीवन है। संघर्ष करना सजीव होने का लक्षण है। जो संघर्ष नहीं कर रहा है वो निर्जीव है। जीवन से जुड़ी समस्याओं से संघर्ष करते समय हमारी समझदारी ही हमारे काम आती है। समस्या का समाधान ढूँढ लेना समझदारी है। जीवन में अनेक समस्याएं आती हैं किन्तु हर समस्या का समाधान भी है। जीवन में अनेक बार ऐसा देखने में आया है, हम जिसे समस्या समझ रहे हैं वो समस्या नहीं बल्कि हमारे लिए वरदान होता है। हमारे जीवन में कुछ नया और शुभ हो जाता है जिसकी हमने कल्पना भी नही की थी। हम ईश्वर को धन्यवाद देते हैं और कहते हैं कि ईश्वर जो करता है वो हमारे भले के लिए करता है। हम उसकी महिमा को नहीं समझ पाते हैं वो अलग बात है।
सोच समझकर बात करना ठीक होता है। कुछ लोग बिना सोचे समझे कुछ भी ऊलजलूल बक देते हैं जो सुनने वाले को ठीक नहीं लगता है और बात का बतंगड़ बन जाता है। बात बढ़ जाती है और काफी कहासुनी हो जाती है। कभी- कभी विवाद भी हो जाता है। हमारी बात सुनने वाले को बुरी न लगे, इसके लिए हमें उसके पद, आयु एवं हैसियत के अनुरूप सदा मधुर वाणी में बात करनी चाहिए।
समाज में लोगों की सोच अलग- अलग होती है। आयु, शिक्षा और आर्थिक स्थिति लोगों की सोच में भिन्नता के मुख्य कारण हैं। लोग बिना सोचे समझे दूसरे के काम में कमियाँ निकालते हैं , यह बिल्कुल ठीक नहीं है। किसको क्या जरूरी है वो स्वयं जानता है लेकिन लोगों को दूसरे की कमियाँ निकालने में मजा आता है। बात लम्बी न हो इसलिए केवल आर्थिक स्तर का उदाहरण लेते हैं। माना कि दो व्यक्ति हैं, एक गरीब है और दूसरा अमीर। गरीब आदमी को फिजूल खर्ची से बचना उसकी समझदारी है जब कि अमीर आदमी को मंहगी और शानशौकत की वस्तुएं खरीदना उसके लिए समझदारी है।
अपने हित के बारे में सोचना और काम करना समझदारी है। दूसरों का अहित करके अपना हित करना समझदारी नहीं धूर्तता है। कुछ लोगों का स्वभाव ऐसा होता है कि वे दूसरों के बारे में बिल्कुल नहीं सोचते हैं, केवल अपने बारे में ही सोचते हैं, दूसरों का अहित भी हो जाता है तो भी उन्हें कोई चिंता नहीं होती है।ऐसी सोच गलत है।
नियम, कानून हमारी भलाई के लिए होते हैं। इनका पालन करना हमारे हित में होता है। जो लोग इनका पालन करते हैं वे समझदार होते हैं। दो पहिया वाहन चलाते समय सिर पर हैमलेट लगाना कानून का पालन करने के साथ- साथ समझदारी भी है क्योंकि समय का कुछ पता नहीं है, कभी भी दुर्घटना हो सकती है। कुछ युवाओं को हैलमेट लगाने में पता नहीं क्या परेशानी होती है, वे हैलमेट होते हुए भी उसे सिर पर नहीं लगाते हैं और उसे बाइक पर लटका लेते हैं जोकि गलत है। हैमलेट सिर की सुरक्षा के लिए होता है इसके लगाने में ही समझदारी है।
हम प्रकृति की गोद में पलते बड़े होते हैं। प्राकृतिक नियमों का पालन करें तो स्वस्थ रहते हैं। मनुष्य ने जब-जब प्रकृति के साथ छेड़छाड़ की है तो उसका परिणाम सदा दुखदायी रहा है। बाढ़, सूखा और भूस्खलन के कारण जनधन की अपार हानि होती है। वनों का संरक्षण करना हमारी समझदारी है।देखा जाये तो पशु, पक्षी सदा प्राकृतिक नियमों का पालन करते हैं और वे इस मामले में इंसान से बहुत समझदार हैं।
माता पिता और गुरू की आज्ञा का पालन करना और उनकी सेवा हमारा कर्तव्य है। माता पिता और गुरू सदा ही हमारी भलाई की बात सोचते हैं। उनके दिमाग में भूल से भी हमारे अहित करने का विचार नहीं आता है।
माता पिता की आज्ञा से भगवान् श्री राम वन को गये। उनकी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण भी उनके साथ वन को चले गये जबकि उनकाे वनवास के लिए नहीं कहा गया था। यह उनकी समझदारी थी, इसीलिये श्रीराम के साथ सीताजी और लक्ष्मण जी को भी सदा याद किया जाता है।
श्रवण कुमार का नाम तो आपने सुना ही होगा। श्रवण कुमार के वृद्ध माता पिता ने उनसे तीर्थ यात्रा करने की इच्छा प्रकट की। श्रवण कुमार ने अपने अन्धे माता पिता की आज्ञा को शिरोधार्य कर उन्हें कावड़ में बैठाकर उनकी इच्छा अनुसार अनेक तीर्थ स्थलों की यात्रा करवायी।
समाज में हर प्रकार के लोग होते हैं। कुछ हमारे सहयोगी होते हैं और कुछ विरोधी। बिना सोचे समझे किसी की बात को मान लेना या उसका विरोध करना समझदारी नहीं है। विवेकपूर्ण व्यक्ति को समझदार कहा जायेगा। जो व्यक्ति यह नहीं समझ पाता है कि क्या उसके लिए सही है और क्या गलत, उसे कैसे समझदार कहा जा सकता है।
समझदारी का समय से घनिष्ठ सम्बन्ध होता है। समय बदलता रहता है। समय के साथ -साथ जीवन में बदलाव करना ही समझदारी है। जो लोग अपने आप को अपडेट नहीं कर पाते हैं वे विकास की दौड़ में पिछड़ जाते हैं। ईश्वर आपको सद्बुद्धि दे, समझदार बनें और सदा सुखी रहे ंं।