पैसा-- प्रतिष्ठा और प्रेम PAISA-- PRATISHTHA AUR PREM # BLOG

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    पैसा और प्रतिष्ठा को लेकर कई बार लोग आपस में चर्चा करने लगते हैं। पश्चिमी सभ्यता का प्रभाव कहें या इसे भौतिकवादी युग कहें, आज के समय में मनुष्य पैसे को अधिक महत्व दे रहा है। सामाजिक मान प्रतिष्ठा भी पैसे पर टिकी हुई है। समाज में जिसके पास अधिक पैसा है समाज में उसका उतना ही अधिक सम्मान है, इस कारण आदमी सामाजिक मूल्यों यथा-सेवा, सहयोग, आपसी भाईचारा को भुलाकर केवल पैसा कमाने में लगा है। 
              पैसा जीवन का आधार है। हम जब भी अपने जीवन में काम आने वाली कोई भी वस्तु खरीदना चाहते हैं तो उसके लिए हमें पैसा देना पड़ता है। पैसे से सब कुछ खरीदा जा सकता है, यहाँ तक कि धन के लालच में आज का आदमी भी बिक जाता है। रिश्वत लेकर कोई भी अनुचित कार्य करने में उसे जरा सी भी झिझक नहीं होती है। चोर, डाकू और आतंकवादी ये सब पैसे के लिए चोरी और हत्यायें करते हैं। 
             समय के साथ मनुष्य की सोच भी बदल गयी है। आज जिस व्यक्ति के पास जितना अधिक पैसा है वो उतना ही बड़ा आदमी कहा जाता है। कोई यह नहीं सोचता है कि उसने यह पैसा कैसे कमाया है उचित या अनुचित तरीके से। समाज में जिसके पास पैसा है उसका मान सम्मान  है। बिना पैसे वाले को इंसान इंसान नहीं समझता है। समाज में उसकी कोई इज्जत नहीं होती है इसलिए आज का आदमी सभी मान मर्यादाओं को दरकिनार कर पैसा कमाने में लगा रहता है। 
                आजकल कुछ ऐसा दौर चल रहा है कि शादी विवाह में भी अधिक धन खर्च करना भी एक फैशन जैसा हो गया है लोगों का मानना है कि विवाह में अधिक खर्च करने से समाज में उनकी प्रतिष्ठा बढ़ती है और उनके मान सम्मान में वृद्धि होती है। रिश्ता तय करते समय पैसे के लेनदेन की बात लोग पहले ही तय कर लेते हैं। पैसे के लालच में बेमेल विवाह भी हो जाते हैं जो आगे चलकर दुखदायी हो जाते हैं। रिश्ते ठीक से न चलने पर अक्सर विवाह विच्छेद की नौबत आ जाती है। 
                पैसा भी एक जगह टिकता नहीं है। आज मेरे पास तो कल दूसरे के पास। जो व्यक्ति आज धनवान है वो सदा धनवान ही बना रहेगा ऐसा जरूरी नहीं है।मैंने लोगों को धनवान से गरीब और गरीब को धनवान होते देखा है। पैसा और इज्जत साथ जन्म लेते और साथ मरते हैं। एक अमीर व्यक्ति जिसकी समाज में बहुत इज्जत होती है उसके दिवालिया हो जाने पर समाज में उसकी इज्जत में कमी आ जाती है। इसके विपरीत कोई गरीब व्यक्ति जीवन में तरक्की कर लेता है तो समाज में उसका मान सम्मान भी बढ़ जाता है। 
                पैसा एक ऐसा पेड़ है जिसपर हर तरह के फल लगते हैं। पैसे से आदमी अपने काम की कोई भी मंहगी से मंहगी वस्तु खरीद सकता है। मंहगी वस्तु का जिक्र मैंने इसलिए किया क्योंकि व्यक्ति के पास मंहगी वस्तु होने से समाज में उसका नाम होता है, उसका मान सम्मान बढ़ जाता है। अच्छा मकान, मंहगी कार और अन्य मंहगी वस्तु का मालिक समाज में एक प्रतिष्ठित व्यक्ति हो जाता है। 
                समाज में नाते रिश्ते पैसे से बनते बिगड़ते हैं। कोई धनवान व्यक्ति हो, भले ही दूर का रिश्तेदार हो, लोग उसे अपना खास रिश्तेदार बताते हैं और उससे अपने खास रिश्तेदार जैसा व्यवहार भी करने लगते हैं भले ही वो उन्हें उतना महत्व न देता हो। अनेक बार ऐसा भी देखने में आया है कि किसी का रिश्तेदार गरीब है तो वो लोगों के बीच उसे अपना रिश्तेदार बताने में संकोच  करता है। ध्यान से सोचा जाये तो ये जो कुछ भी हो रहा है पैसे की वजह से ही हो रहा है। 
              पैसे और प्रेम में जमीन आसमान का अन्तर है। पैसे ने प्रेम को भी खरीद लिया है। बड़े बड़े मठाधीश जो दीन दुखियों की बात करते हैं, वे भी पैसे को लेकर लोगों के साथ भेदभाव करते हैं। अपने धनवान शिष्य को प्रेमपूर्वक अपने पास बैठाते हैं , उससे आत्मीयता का व्यवहार करते हैं। अपने अन्य दूसरे शिष्य एवं अनुयायी के साथ एक अलग ही व्यवहार करते हैं। 
                पैसा में मिठास और खटास दोनों प्रकार का स्वाद होता है। पैसा सम्बन्ध बनाता भी है और बिगाड़ता भी है। अगर किसी को पैसे की जरूरत है तो वो आपसे अपना दुखड़ा सुनायेगाऔर मीठी मीठी बातें करेगा।आपको ऐसा लगेगा कि यह बड़ा ईमानदार और सज्जन है । उसके ऐसे व्यवहार से खुश होकर आप उसे पैसे उधार दे देंगे। पैसे पा कर वो खुशी से गदगद हो जायेगा। 
                 अक्सर लोगों को पैसा उधार लेना तो अच्छा लगता है लेकिन वापस करने में उनको नानी याद आती है। जिस आदमी ने उसका वक्त पर काम चलाया था उससे वो अब कत्ती काटने लगता है, सामने नहीं पड़ता है, बचकर निकल जाता है, राम राम भी बन्द हो जाती है। फोन पर बात करना चाहे तो फोन रिसीव नहीं करता है। कभी मिल भी गया तो तुम्हें अपनी सौ परेशानियां गिना देगा। अब अपना ही पैसा मांगने के लिए आपको यह कहना होगा मुझे बहुत जरूरत है मुझे मेरा पैसा बापस दे दो। पैसा वापस करते समय वो खुश नहीं दिखाई देता है।
            पैसा की पकड़ हर जगह है। परिवार भी इससे अछूता नहीं है। घर का मुखिया अगर पैसे से प्रेम करने लगे तो घर के सभी सदस्य नाराज रहते हैं। भाइयों में भी हिस्से बटवारे को लेकर प्रेम में कमी आ जाती है।  जो भाई एक दूसरे से बहुत अधिक प्रेम करते थे वे एक दूसरे को मारने को तैयार हो जाते हैं।पति पत्नी एक दूसरे के जीवन साथी होते हैं पैसे को लेकर उनमें भी खटपट होती रहती है।    



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