मानव जीवन में व्यस्तता बहुत जरूरी है। अंग्रेजी में कहावत है - 'Empty miind is devil's workshop. ' खाली दिमाग शैतान का घर होता है । अर्थात खाली बैठे आदमी का शरीर भले ही नहीं चल रहा हो किन्तु उसका दिमाग सदा चलता रहता है। ऐसे आदमी के मन में जैसे विचार आयंगे वैसा ही काम वो करेगा।
आपने अपने घर में बच्चों को तो देखा ही होगा। बच्चे एक जगह शांतिपूर्वक नहीं बैठते हैं। वे सदा इधर उधर कुछ न कुछ उलट-पलट और छेड़छाड़ करते रहते हैं। घर में रखे सामान की तोड़-फोड़ करना और काम विगाड़ना उनके लिए सामान्य बात है। इसका मुख्य कारण यह होता है कि वे कोई काम करने लायक तो हैं नहीं जिसमें वे व्यस्त रहें अत: उनके मन में कुछ न कुछ विचार आते रहते हैं और वे वैसा ही करते रहते हैं। उनका सही गलत से भी कोई मतलब नहीं होता है।
काम करने वाले आदमी का समय आसानी से व्यतीत हो जाता है। समय कब बीत गया उसे पता ही नहीं चलता है।काम पूरा हो जाने पर उसको सुख की अनुभूति होती है क्योंकि व्यक्ति का कोई भी कार्य प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में उसके जीवन से संबंधित होता है। व्यक्ति की आजीविका से संबंधित काम सम्पन्न हो हो जाये तो उसे संतोष होता है कि खान-पान और रहन-सहन ठीक से चल जाएगा।
व्यक्ति के पास जब कोई काम नहीं होता है तो वो बोर होने लगता है। ऐसे समय में उसे चाहिए कि वो मनोरंजन करे। अपने साथियों के साथ गप-शप करे। कहीं घूमने जाये या फिर कोई काम करने लगे जिसमें वो व्यस्त हो जाये। पेंडिंग में पड़े काम को करने का यह अच्छा समय होता है। ऐसा काम करने से समय का सदुपयोग हो जाता है और इसके साथ ही छूटा हुआ काम भी पूरा हो जाता है। अधूरा छूटा हुआ काम मन में सदा खटकता रहता है। इस काम के पूरा हो जाने से व्यक्ति को सकून मिलता है।
यहाँ यदि कुछ ऐसी बातों का जिक्र कर दिया जाये जिसमें हर कोई व्यस्त रहकर अपने मानसिक तनाव को कम कर सके तो मेरे विचार से अनुचित न होगा। इसके लिए मानव जीवन को तीन प्रमुख अवस्थाओं --बाल्यावस्था, युवावस्था और बृद्धावस्था में विभाजित कर लिया है।
छोटे बालक दिन भर खेल कूद में व्यस्त रहते हैं। ऐसे बच्चों को सदा अपनी निगरानी में रखा जाये तो अच्छा है क्योंकि इनके चोट लगने का सदा भय बना रहता है। आग और धार वाली वस्तु जैसे चाकू इत्यादि से इन्हें बचाकर रखें। ईश्वर न करे किसी दुर्घटना के कारण किसी बच्चे की जिंदगी बर्बाद हो जाये।
एक युवक ही अपनी और अपने परिवार की समस्त जिम्मेदारियों को पूरा करता है। उसके जीवन में सदा कोई न कोई काम लगा ही रहता है। सबसे अधिक व्यस्तता जवानी में ही रहती है। उसे अपने घर गृहस्थी से ही फुर्सत नहीं मिलती है। अपने और अपने बच्चों के जीवन को सुधारने का यही समय होता है। वो अपना खाली समय अपने माता पिता के साथ बैठकर बिताये और उनके जीवन के अनुभवों से सीख ले तो मेरे विचार से अच्छा रहेगा।
बृद्ध व्यक्ति काम करने लायक नहीं रहता है। उसका सारा समय खाली बैठकर ही बीतता है। ऐसे लोगों के लिए समय बिताना मुश्किल हो जाता है। ये अपना समय अपनी उम्र के लोगों के साथ बातचीत करके बिताये ं, सत्संग कार्यक्रम में जाये ं। घर गृहस्थी की चिंता छोड़कर भगवान् के भजन में अपना समय बिताये ं तो अच्छा है।
प्रकृति का हर कार्य-व्यवहार समय से होता है। हमें भी चाहिए कि हम भी अपनी दिनचर्या बना लें और अपने सभी काम समय से पूरा करें। जीवन में व्यस्तता के महत्व को समझें। व्यस्त रहें और सदा मस्त रहें।