पोथी पढ़ पढ़ जुग मुआ, पंडित भया न कोय |
ढाई अक्षर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय ||
कबीरदास जी
कबीर जी जैसे संत और महापुरुष ने प्रेम को इतना महान माना है तो मैं प्रेम को कितना महत्व देता हूँ यह अवर्णनीय है. इसलिए इस संबंध जो भी कहा जाए वो कम ही होगा क्यूँकि प्रेम को समझना आसान नहीं है.
प्रकृति के सभी जड़ चेतन पदार्थ, वस्तु एवं प्राणी हमें आकर्षित करते हैं. उनका आकर्षण अलग अलग लोगों को अलग अलग रूपों में प्रभावित कर सकता है जैसे किसान को उसकी लहलहाती फसल, माँ .को उसकी संतान, माली को उसका बगीचा, अध्यापक को उसके छात्र- छात्रा एवं मूर्तिकार को ऐसा पत्थर जो तराशने के लिए अच्छा हो इत्यादि.
सजीव निर्जीव का यह आकर्षण उसी को आकर्षित करता है जिसको उसके संबंध में कुछ जानकारी या ज्ञान हो. उदाहरण के लिए जंगल में कोई औषधीय पौधा है उसके लिए कितने लोग देखते रहते हैं उनको वो पौधा कोई खास पौधा नहीं है इसलिए कोई आकर्षण भी नहीं है, यही पौधा संयोग से किसी वैद्य को दिखाई दे जाता है तो वैद्यजी पौधे को देखकर खुश हो जाते हैं और उसके औषधीय गुणों के कारण उसे अपने घर भी ले आते हैं एवं उस औषधि से रोगियों का इलाज भी करते हैं.
हम जब भी किसी से आकर्षित होते हैं तो उसके पीछे कोई न कोई कारण अवश्य होता है यूँ ही कोई किसी से आकर्षित नहीं होता है इसलिए इन कारणों पर चर्चा करना अनुचित न होगा.
जब हमें किसी चीज की जरूरत होती है तभी हम उस वस्तु को तलाश करते हैं वस्तु के न मिलने पर अजीब सी बेचैनी होती है और मिल जाने पर दिल को शुकून मिलता है.एक प्रेमी का अपनी प्रेमिका के प्रति या एक प्रेमिका का अपने प्रेमी के प्रति आकर्षित होने का कारण होना दोनों को एक दूसरे की जरूरत ही है.
जीवन में अनेक वस्तु और प्राणी हमारे सम्पर्क में रहते हैं. इन सभी के प्रति हमारा समान वयवहार नहीं होता है जो कुछ भी हमारे लिए उपयोगी लगता है उस पर हम ध्यान देते हैं और जो हमें उपयोगी नहीं लगता है उसे नजर अंदाज कर देते हैं. व्यक्ति को वे वस्तुएं ही आकर्षित करती हैं जो उसके लिए उपयोगी होती हैं.
आकर्षण की बात चल रही हो और उसमें सुन्दरता का जिक्र न हो तो चर्चा अधूरी रहती है. सुन्दरता रूप की तो होती ही है विचारों की भी सुन्दरता होती है. अधिकतर लोग शारीरिक सुन्दरता को ही सुन्दरता मानते हैं और उसी को महत्व देते हैं. शारीरिक सुन्दरता भौतिक सुन्दरता है यह हमें अधिक प्रभावित करती है. भौतिक वस्तुएं व्यक्ति को अधिक आकर्षित करती हैं. इसका मुख्य कारण यह है कि हम भौतिक वस्तुओं को साक्षात देख लेते हैं.
शारीरिक सुन्दरता और विचारों की सुन्दरता की मुख्य बात यह है कि शारीरिक सुन्दरता समय के साथ साथ कम होती रहती है और विचारों की सुन्दरता सदा बनी रहती है.
भावनायें भी सभी प्राणियों को प्रभावित और आकर्षित करती हैं .एक माँ की अपने बच्चों के प्रति ममता उसकी हृदय की भावना ही है जो स्वयं भूखी रहकर भी अपने बच्चों को भोजन कराती है और अपनी जान की परवाह न करते हुए अपने बच्चों की हर प्रकार से रक्षा करती है.
सृष्टि की प्रत्येक रचना में आकर्षण है. यह बात अलग है कि कौन किससे और क्यों आकर्षित हो रहा है. जहां आकर्षण है वहां प्रेम है. प्रेम का जन्म आकर्षण से होता है. सम्पूर्ण सृष्टि प्रेममय है, ईश्वरमय है.श्री कृष्ण भगवान ने गीता में कहा है, हे अर्जुन तू ध्यान लगाकर सुन "मैं सब में हूँ और सब मुझमें हैं."ईश्वर सर्वव्यापक है और यदि यह कह दिया जाए कि प्रेम भी सर्वव्यापक है तो मेरे विचार से अनुचित न होगा.