मुझे छोड़ कर तुम कहाँ जा रहे हो
कहो तो सही क्यों न कह पा रहे हो
पूंँछा जो मैंने तो कुछ न बताया
फिर मन ही मन क्यों मुस्करा रहे हो
कितने दिनों से बैठा हूँ इसमें
कि कब आ रहे और क्या ला रहे हो
बड़े ही अजीब बन गए हो अब तुम
जो भी लाए हो उसे खुद खा रहे हो
न जाने क्या मैंने देखा है तुम में
जो रुख न मिलाते फिर क्यों भा रहे हो