कपड़े भी अब लगें न प्यारे
आए पसीना भीगें कपड़े
सूख गए तो लगते अकड़े
गर्मी से जब मन घबराता
बाहर भीतर चैन न आता
छत ऊपर से तपती भारी
पंखे की हवा लगे न प्यारी
बिस्तर भी गर्मी से गरमाया
बिन बिस्तर के सोना भाया
खाना पकाना भी है मुश्किल
रसोई में न रहा जाए बिल्कुल
नल का पानी अमृत जैसा
खूब पियो कुछ लगे न पैसा
गर्मी में हम खूब नहाएं
जल को व्यर्थ कभी न बहाएं
धन्य हमारे कृषक भाई
गर्मी में भी करें जुताई
टप-टप गिरे पसीना उनका
मानो जल गिरता वर्षा का
गरीबों को लगती गर्मी सर्दी
धनवानों की चलती मनमर्जी
गर्मी में वे A C को चलाते
सर्दी में वे हीटर को जलाते
फ्रिज और A C गर्मी बढ़ाते
गर्मी का दुख हम सब पाते
जीव जन्तु सब गए अकुलाए
सोचें कैसे गर्मी जाए
वृक्ष लगें गर्मी में प्यारे
गर्मी के संकट से उबारें
वृक्ष समान न कोई हितकारी
काटा वृक्ष गयी मति मारी