शेर-शायरी

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    अगर जिंदगी को तुम बनाना चाहते बेहतर |
    सदा आशा रखो मन में गुजारो हर समय हँसकर ||

    कामयाबी की दुनियाँ में वे ही कदम रखते हैं |
    जो हर काम मन लगाकर किया करते हैं  ||

    दुखों को झेल कर ही सुख मिला करते हैं  |
    गुलाब के फूल सदा काटों में खिला करते हैं ||

    जिंदगी दुखों से भरी प्यार जीने का सहारा है |
    कोई इसे न समझे तो क्या दोष हमारा है ||

    दुखों के दरिया को हिम्मत की किश्ती से पार करना |
    इस वेरहम दुनियाँ से दुख का इज़हार मत करना  ||

    सुख में सब साथ देते हैं दुख में कौन देता है |
    बक्त आने पर अपना साया भी साथ छोड़ देता है ||

    बड़ा हैरान हूँ मैं कि कौन अपना पराया है |
    जिनको अपना समझा था उन्हीं ने जुल्म ढाया है ||

    बक्त गुजर जाएगा यादें आएंगी अपने परायों की |
    किसने खंजर भोंका किसने मरहम लगाया था ||

    ऐ प्रेम के प्यासे तू रहना जरा संँभल कर |
    यह वो गर्म दूध है जो पिया भी नहीं जाता उगला भी नहीं जाता ||

    मोहब्बत वो रास्ता है जिसमें कांँटे ही काँटे है ं |
    इस पर चलने वाले सदा मीठी ही सज़ा पाते हैं ||

    बहुत हैरान मैं उनसे मुझे जो बिगड़ा कहते हैं |
    कुदरत की हर चीज विगड़ कर ही बना करती है ||

    हम से अच्छे तो वे हैं जो विछुड़कर भी मिला करते हैं |
    एक हम हैं जो मिलकर भी गिला करते हैं  ||

    मुद्दतों के बाद हमने प्यार का इज़हार किया |
    तुम इतने वेवफा निकले हर सपना बेकार किया ||

    दुनिया ँ में ऐसे ही लोग अक्सर मरा करते हैं |
    जो प्यार और झगड़ा करीब से किया करते हैं ||

    दुर्घटना कौन करता है यह तो हो ही जाती है |
    मोहब्बत में भी अक्सर ऐसा ही हुआ करता है ||

    अगर दिल न मिले ं तो अक्सर तकरार होता है |
    आँखें अगर लड़ भी जाये ं तो भी प्यार होता है ||

    आँखे ं भी तो कुदरत का अजीब तोहफा हैं |
    खुदा जाने इनके लड़ने पर प्यार क्यों होता है ||

    दिल दिया या दिल लिया तो क्या गुनाह किया |
    किया तो प्यार ही आखिर झगड़ा तो नहीं किया ||

    कुदरत ने अगर दिल को वे लगाम न किया होता |
    तो फिर प्यार कभी बदनाम न हुआ होता ||

    कैसे थामूँगा मैं अपना दिल आज से |
    तुमने मुझको वे दिल बना रक्खा है ||

    दिल पर जुवां पर हर जगह तुम्हारा ही नाम लिक्खा है|जब से मैंने तुमसे अपना दिल लगा रक्खा है ||

    कैसा अजीब दर्द है जुवां से वयांं नहीं होता |
    रोने से कम नहीं होता हँसने से कम नहीं होता ||

    जुवां तू वे रहम है दुख में साथ नहीं देती |
    तुझसे तो अच्छी आँखे हैं जो आँसू बहाती हैं ||

    चुप रह जुवां तू प्यार को बदनाम करती है |
    बोलने दे इन आँखों को ये हर काम करती हैं ||

    मोहब्बत में अक्सर ऐसा ही हुआ करता है |
    शबनम की याद में सूरज जला करता है ||

    हर गुलाबी कली को चूमने की तमन्ना है |
    काश कुदरत ने मुझको भौंरा बनाया होता ||

    अब समझा मैंने भौंरे के काले होने का कारण |
    मिलकर बिछुड़ने में यही हाल होता है ||

    हुस्न वालों की अक्सर अजीब अदा होती है |
    तभी तो हर मोड़ पर उनकी सज़ा होती है ||

    मोहब्बत की दुनियाँ में अजीब दस्तूर होता है |
    सज़ा दिल को मिलती है कसूर आँखों का होता है ||

    बुढ़ापा हमने जो क्या दिया इसे तो कुदरत देती है |
    बुजुर्गों को नवजवानों से न जाने क्यों चिढ़ होती है ||

    ऐ मेहनतकश इंसान इस कदर हैरान न हो |
    खुदा भी खुद आ पूंँछेगा तेरी तमन्ना क्या है?  





    कमैंट्स