अगर जिंदगी को तुम बनाना चाहते बेहतर |
सदा आशा रखो मन में गुजारो हर समय हँसकर ||
कामयाबी की दुनियाँ में वे ही कदम रखते हैं |
जो हर काम मन लगाकर किया करते हैं ||
दुखों को झेल कर ही सुख मिला करते हैं |
गुलाब के फूल सदा काटों में खिला करते हैं ||
जिंदगी दुखों से भरी प्यार जीने का सहारा है |
कोई इसे न समझे तो क्या दोष हमारा है ||
दुखों के दरिया को हिम्मत की किश्ती से पार करना |
इस वेरहम दुनियाँ से दुख का इज़हार मत करना ||
सुख में सब साथ देते हैं दुख में कौन देता है |
बक्त आने पर अपना साया भी साथ छोड़ देता है ||
बड़ा हैरान हूँ मैं कि कौन अपना पराया है |
जिनको अपना समझा था उन्हीं ने जुल्म ढाया है ||
बक्त गुजर जाएगा यादें आएंगी अपने परायों की |
किसने खंजर भोंका किसने मरहम लगाया था ||
ऐ प्रेम के प्यासे तू रहना जरा संँभल कर |
यह वो गर्म दूध है जो पिया भी नहीं जाता उगला भी नहीं जाता ||
मोहब्बत वो रास्ता है जिसमें कांँटे ही काँटे है ं |
इस पर चलने वाले सदा मीठी ही सज़ा पाते हैं ||
बहुत हैरान मैं उनसे मुझे जो बिगड़ा कहते हैं |
कुदरत की हर चीज विगड़ कर ही बना करती है ||
हम से अच्छे तो वे हैं जो विछुड़कर भी मिला करते हैं |
एक हम हैं जो मिलकर भी गिला करते हैं ||
मुद्दतों के बाद हमने प्यार का इज़हार किया |
तुम इतने वेवफा निकले हर सपना बेकार किया ||
दुनिया ँ में ऐसे ही लोग अक्सर मरा करते हैं |
जो प्यार और झगड़ा करीब से किया करते हैं ||
दुर्घटना कौन करता है यह तो हो ही जाती है |
मोहब्बत में भी अक्सर ऐसा ही हुआ करता है ||
अगर दिल न मिले ं तो अक्सर तकरार होता है |
आँखें अगर लड़ भी जाये ं तो भी प्यार होता है ||
आँखे ं भी तो कुदरत का अजीब तोहफा हैं |
खुदा जाने इनके लड़ने पर प्यार क्यों होता है ||
दिल दिया या दिल लिया तो क्या गुनाह किया |
किया तो प्यार ही आखिर झगड़ा तो नहीं किया ||
कुदरत ने अगर दिल को वे लगाम न किया होता |
तो फिर प्यार कभी बदनाम न हुआ होता ||
कैसे थामूँगा मैं अपना दिल आज से |
तुमने मुझको वे दिल बना रक्खा है ||
दिल पर जुवां पर हर जगह तुम्हारा ही नाम लिक्खा है|जब से मैंने तुमसे अपना दिल लगा रक्खा है ||
कैसा अजीब दर्द है जुवां से वयांं नहीं होता |
रोने से कम नहीं होता हँसने से कम नहीं होता ||
जुवां तू वे रहम है दुख में साथ नहीं देती |
तुझसे तो अच्छी आँखे हैं जो आँसू बहाती हैं ||
चुप रह जुवां तू प्यार को बदनाम करती है |
बोलने दे इन आँखों को ये हर काम करती हैं ||
मोहब्बत में अक्सर ऐसा ही हुआ करता है |
शबनम की याद में सूरज जला करता है ||
हर गुलाबी कली को चूमने की तमन्ना है |
काश कुदरत ने मुझको भौंरा बनाया होता ||
अब समझा मैंने भौंरे के काले होने का कारण |
मिलकर बिछुड़ने में यही हाल होता है ||
हुस्न वालों की अक्सर अजीब अदा होती है |
तभी तो हर मोड़ पर उनकी सज़ा होती है ||
मोहब्बत की दुनियाँ में अजीब दस्तूर होता है |
सज़ा दिल को मिलती है कसूर आँखों का होता है ||
बुढ़ापा हमने जो क्या दिया इसे तो कुदरत देती है |
बुजुर्गों को नवजवानों से न जाने क्यों चिढ़ होती है ||
ऐ मेहनतकश इंसान इस कदर हैरान न हो |
खुदा भी खुद आ पूंँछेगा तेरी तमन्ना क्या है?