साहस, धैर्य और सफलता - Courage, Patience and Success

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    साहस, धैर्य और सफलता

    दो भाई

    साहस और धैर्य

    बैठे रहते

    मुंह फुलाए

    इस घमंड में

    बड़ा हूँ मैं 

    दोनों तर्क देते 

    अपना अपना

    चालाक थे दोनों

    अकेले में मिलते

    सफलता से 

    कहते

    तुम्हारी प्राप्ति हुई 

    मेरी बजह से

    सफलता बोली हंसकर

    मैंने समझा है

    दोनों को

    क्योंकि 

    तुम भाई हो मेरे

    कल निर्णय होगा

    बड़ा कौन? 

    आना एक साथ दोनों

    देना अपने अपने तर्क

    बात मान ली

    दोनों ने

    पहले बारी आई

    साहस की

    लगा शेखी बघारने

    बोला

    कार्य की शुरुआत

    करता हूँ मैं

    पग पग पर हूँ आवश्यक

    कार्य असम्भव मेरे बिना, 

    सफलता 

    मुस्कराती रही

    मन ही मन

    बोली

    साहस भाई

    कहना है और कुछ

    उत्तर मिला

    नहीं

    सफलता बोली

    भाई धैर्य

    बोलो  

    चुप बैठे हो कैसे? 

    धैर्य ने भी

    दिया उत्तर

    संयमित भाषा में

    बोला

    जब मेरा छोटा भाई साहस 

    जाता है थक

    मेरा काम शुरू होता है तब

    कार्य सिद्ध होने तक

    अडिग रहता

    बिना किसी थकान के

    कार्य सिद्ध होता

    मेरी अडिग तपस्या से,

    साहस और धैर्य

    दोनों के

    तर्क सुने सफलता ने

    अन्त में 

    निर्णायक स्वर में 

    बोली सफलता

    निश्चय ही महान हो

    तुम दोनों

    किन्तु

    लोगों को कहते सुना मैंने

    सबसे बड़ी है सफलता

    कमैंट्स